लेख-निबंध >> मध्यकालीन धर्म साधना मध्यकालीन धर्म साधनाहजारी प्रसाद द्विवेदी
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‘मध्यकालीन धर्म-साधना’ यद्यपि भिन्न-भिन्न अवसर पर लिखे गये निबंधों का संग्रह ही है, तथापि आचार्य द्विवेदी जी ने प्रयत्न किया है कि ये लेख परस्पर विच्छिन और असम्बद्ध न रहें और पाठकों को मध्यकालीन धर्म साधनाओं का संक्षिप्त और धारावाहिक परिचय प्राप्त हो जाय। दो प्रकार के साहित्य से इन धर्म साधनाओं का परिचय संग्रह किया गया है।
(1) विभिन्न संप्रदाय के साधना-विषयक और सिद्धांत-विषय का ग्रन्थ।
(2) साधारण काव्य साहित्य इस प्रकार पुस्तक में आलोचित अधिकांश धर्म-साधनाएँ शास्त्रीय रूप में ही आयी हैं।
जिन सम्प्रदायों के कोई धर्म-ग्रन्थ प्राप्त नहीं हैं या जो साधारण काव्य-साहित्य में नहीं आ सकी हैं, वे छूट गयी हैं। हमारे देश की धर्म-साधना का इतिहास बहुत विपुल है। विभिन्न युग की सामाजिक स्थितियों से भी इसका सम्बन्ध है। फलस्वरुप इस पुस्तक में प्रयत्न किया गया है कि उत्तर भारत की प्रधान धर्म-साधनाएँ यथासंभव विवेचित हो जायें और उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि का भी सामान्य परिचय पाठक को मिल जाये।
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